पुनर्नवा
- Amit Gupta
- Jun 2, 2023
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पुनर्नवा
पुनर्नवा के लाल व स्फेद दो भाग होते है ,यह भूमि पर लेटी हुई तथा बेल के आकार की होती है ।
यह वर्षा श्रृतु मे उत्पन्न होकर बढती है और हेमन्त श्रृतु के तुषार से सूख जाती है ।
श्वेत पुनर्नवा के पत्ते व डंठल स्फेद व लाल पुनर्नवा के लाल होते है ।
स्पेद पुनर्नवा चरपरी, अत्यन्त अग्निदीपक , पांडु , शोथ ,कफ तथा उदररोग नाशक है ।
लाल पुनर्नवा कड़वी ,शीतल ,ग्राही ,वातकारक तथा रूधिर विकार को नष्ट करती है ।
पुनर्नवा का काढ़ा पीने से तथा चूर्ण रूप मे प्रयोग करने से शोथ रोग का शमन होता है ।
पुनर्नवा के जड के चूर्ण को मिश्री से लेने पर सुखी खाँसी मे आराम मिलता है ।
पुनर्नवा की जड़ का काढ़ा सुबह – शाम 20 मिली. लेने से लीवर ठीक रखता है ।
आजकल प्रोटिन ,विटामिन सी व कैल्सियम की कमी बहुत लोगो को पायी जाती है।।
पुनर्नवा का चूर्ण 3 ग्राम सुबह – शाम लेने से उस कमी की पूर्ति होती है और दर्द में
भी आराम मिलता है ।

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