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कत्था

  • Writer: Amit Gupta
    Amit Gupta
  • Oct 5, 2023
  • 1 min read

कत्था

खैर के वृक्ष जगंल मे पाए जाते हैं। ये अधिकतर बिहार, नैनिताल व नेपाल की तराई मे पाए जाते है।

इसकी शाखा कांटेदार होती है। इससे निकले हुए दूध की खुष्क अवस्था को कत्था कहते है।

गुण—कत्था शीतल, दांतो के लिए लाभकारी, कड़वा, कसैला, खांसी, अरूची, कृमि, प्रमेह, व्रण, श्वेत कुष्ट, शोथ, आमवात, पित्त, पांडु, कफ तता रक्तविकारनाशक है।

खैर का चूर्ण 5- से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से अतिसार नष्ट होता है। आमातिसार में इसके चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में लेना चाहिए तथा काक गिर जाने पर इसके रस को मुंह में डालकर चूसना चाहिए।

प्रदर रोग में इसके क्वाथ की पिचकारी देने से लाभ होता है।


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