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आलूबुखार

  • Writer: Amit Gupta
    Amit Gupta
  • May 28, 2023
  • 1 min read

आलूबुखारे के वृक्ष अधिकतर बलख सिंहलद्वीप में होते है। इसके वृक्षों की ऊँचाई साधारण होती है। तथा वे झाड़दार होते है। इसके फल गोल-गोल और लाल-लाल होते हैं। इसके फल सुखाकर रख लिए जाते हैं। गुठली रहित शुष्क फल ही औषध रूप में प्रयोग होते हैं।

गुण-- कच्चा आलूबुखारा कसैला, शीतल, ग्राही, मुखप्रिय, कफ- पित्त शान्तिकर, धातुवर्धक रूचिकारक, पित्तजनक एवं तृषा का शमन करने वाला है। पके फल के शर्बत से पक्वाश्य़ को बल मिलता है और

क्षुधा की वृद्धि होती है।

उपयोग—अर्श, शरीर में पीड़ा, जोड़ो का दर्द और वायु आदि विकारो में आलूबुखारे का सेवन उचित हैं।जब प्यास अघिक लगती है, जी मिचलाता है, तो आलूबुखारे का रस चूसने से तुरन्त शान्ति मिलती है।

मलावरोध में आलूबुखारे का सेवन करने से मलशुद्धि में सहायता मिलती है। प्रमेह में भी इसका सेवन लाभकारी होता है। पीलिया व कामला में भी आलूबुखारे को औषध के रूप मे सेवन करते हैं।

यह पित्त व रक्तज्वर में भी लाभदायक हैं।


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