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अजवायन - Part 2

  • Writer: Amit Gupta
    Amit Gupta
  • Mar 6, 2023
  • 2 min read

अजवायन

अजवायन का पौधा 4-5 फीट ऊचा होता है ।इसकी खेती प्राय काली मिट्टी या नदी के किनारे की मिट्टी मेँ अच्छी होती है ।

कहा गया है कि अकेले अजवायन ही सैकड़ो प्रकार के अन्न को पचाने वाली है।

अजवायन पाचक ,गर्म, चरपरी ,कडवी, अग्निदीपक ,वात-कफ व कृमि को नष्ट करती है ।

यह शरीर की वेदना को शांत करती है ।

अमाश्य को सक्रिय रखती है।

बच्चो को सदिर्यो मे अजवायन की भाप देने से लाभ मिलता है।

अजवायन का शर्बत पक्षाघात एवं कम्पवात में लाभ करता है।

अजवायन को हलका गुनगुना करके पेट पर लगाने से दर्द व गैस दूर होती है।

अजवायन को कर्पूर के साथ लेने पर वायु शूल दोष दूर होता है।

अजवायन को तिल मे पकाकर ,छानकर जोड़ो मे मालिश करने पर दर्द में आराम मिलता है।


अजवायन का चूर्ण बनाकर उसका 8वा भाग सेंधा-नमक मिलाकर जल से सेवन करने पर अफारा,

मंदाग्नि व पेट दर्द का शमन होता है।

अजवायन को रात को सोते समय चबाकर ठंडे पानी से लेने पर शौच साफ होता है।

अजवायन का चूर्ण बच्चो को चुटकी भर व बड़ो को 2 ग्राम गुड के साथ देते हे तो पेट के कीड़े निकलते है।


अजवायन 2

अजवायन के फूल को शक्कर के साथ दिन मे तीन बार जल के साथ सेवन करने से पित्ती ठीक होती है ।

अजवायन के 4 रत्ती फूल ,4 रत्ती गिलोय सत्व के साथ मिलाकर सेवन करने से चर्म रोग ठीक होता है।

अजवायन को सेंक कर चूर्ण करले ,शरीर की गर्मी कम होने पर या पसीना आने पर तलवो की मालिश करने से ताभ मिलता है।

अजवायन के फूल को शहद मे मिलाकर लेने से कफ आना कम हो जाता है।

अजवायन का अर्क 10 मिली. सुबह-शाम लेने पर खांसी व खांसी की वजह से जो वदबू आती है उसमे आराम

मिलता है।

गर्म दुग्ध के साथ अजवायन का चूर्ण खाने से मासिक- धर्म खुल कर आता है व कमर दर्द भी नही रहता है।

प्रसव के पश्चात मंद ज्वर ,हाथ पैरो में जलन ,दर्द, मंदाग्नि ,जुकाम तनाव व सूजन के लक्षण होते है तो

अजवायन को सरसो के तैल मे पकाकर उसकी मालिश करें।

1 लिटर पानी मे 10---25 अजवायन के फूल का चूर्ण मिलाकर इस घोल से धोने पर खाज खुजली नष्ट

होती है।

अजवायन को सफेद प्याज के रस मे तीन- चार बार भिगोकर –सुखाकर रख ले ,हर रोज 10 ग्राम अजवायन ,

10 ग्राम शुध देसी घी ,20 ग्राम खांड सुबह –शाम लगभग तीन सप्ताह लेने पर इन्द्रियो की दुर्बलता दूर होती है।

अजवायन का प्रयोग भोजन के पचाने ,वायु तथा गर्भाश्य को शुध करने के लिए करते है।


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