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अंगूर

  • Writer: Amit Gupta
    Amit Gupta
  • Jul 25, 2023
  • 1 min read

अंगूर

अंगूर के पौधौ से लताएं निकलती है ।शिशिर श्रृतु में पुष्प लगने के पश्चात गुच्छों मे अंगूर लगते हैं।

ये कच्चे रहने पर हरे और पकने के बाद पीले हो जाते है। सूख जाने पर छोटे किशमिश व

बडे होने पर मुन्नका बन जाते है।

गुण---- पका अंगूर दस्तावर शीतल पुष्टिकारक, भारी, बल-वर्धक व वीर्य को बढाता है। कच्चा अंगूर

इसके विपरित गुण वाला होता है। मुन्नका श्रमहर ,स्निग्ध, मृदुरेचक है। यह ज्वर की प्यास ,दाहयुक्त पीडा तथा कोष्ठबद्दता मे हितकारी है ।

उपयोग – वृक्ष की लता अश्मरी तथा मूत्र अधिक आने पर लाभ करती है। पेट में जलन, मुँह मे छाले भोजन के बाद पेट मे भारीपन एंव भोजन का पाचन सही ढंग से न होने की दशा मे अंगूर या मुन्नका 80 ग्राम ,सौंफ 10 ग्राम 250 मिली. पानी मे रात मे भिगोकर सुबह उसको मसलकर छानकर लें।

मुन्नका 10 ग्राम , आंवला 5 ग्राम रात को एक कप पानी मे भिगोकर सुबह छानकर लें

पेट की जलन शांत होती है।

मुंह सुखने पर और जी मिचलाने पर मुन्नका को गरम करके नमक व काली मिर्च मिलाकर सेवन करे।

सुखी खांसी मे मुन्नका को मिश्री के साथ और सुखे किशमिश का पानी दिन मे तीन- चार बार पीने से आँखों की जलन कम होती है। गर्म पदार्थ खाने से अगर मूत्र रूक-ए रूक कर आए तो अंगूर का रस छोटी इलायची या मिश्री के साथ लें ।


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